खिलाड़ियों के लिए रेलवे रियायत — एक सुनहरा अतीत
एक समय था जब भारतीय रेलवे देशभर के खिलाड़ियों को यात्रा में विशेष छूट प्रदान करती थी। यह सुविधा खासकर उन खिलाड़ियों के लिए जीवनरेखा थी जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते थे। राज्य, जिला या राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए उन्हें बार-बार यात्रा करनी पड़ती थी, और रेलवे रियायत उनके लिए बड़ी मदद साबित होती थी।
हालांकि, 20 मार्च 2020 को रेल मंत्रालय ने इस छूट को समाप्त कर दिया। कोविड-19 महामारी के दौरान लिए गए इस निर्णय के साथ-साथ अन्य श्रेणियों जैसे वरिष्ठ नागरिकों की रियायतें भी बंद कर दी गईं। मंत्रालय का तर्क था कि रेलवे पर बढ़ते वित्तीय बोझ और सब्सिडी के कारण इन छूटों को बनाए रखना मुश्किल हो गया था।
वित्तीय बोझ का तर्क अब अप्रासंगिक?
2020 में यह निर्णय आर्थिक दृष्टि से समझ में आता था, क्योंकि उस समय महामारी ने रेलवे की कमाई पर गहरा असर डाला था। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय रेलवे ने 2022-23 में 2,39,982.56 करोड़ रुपये की कमाई की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25.51% अधिक थी।
रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो (Operating Ratio) भी काफी सुधरा है। 2021-22 में यह 107.39% था, यानी रेलवे हर 100 रुपये कमाने के लिए 107 रुपये खर्च कर रहा था। जबकि 2023-24 में यह घटकर 98.45% हो गया है — यह संकेत है कि अब रेलवे पहले से कहीं अधिक मुनाफे की स्थिति में है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि खिलाड़ियों के लिए यात्रा छूट को बहाल करना अब रेलवे के लिए आर्थिक बोझ नहीं होगा।
खिलाड़ियों और खेल संघों पर असर
खिलाड़ियों के hclick here लिए यह छूट बंद होना सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि उनके करियर पर असर डालने वाला कदम साबित हुआ है। विशेष रूप से ग्रामीण और छोटे शहरों के खिलाड़ी, जिनके पास प्रायोजक या आर्थिक सहयोग नहीं होता, अब प्रतियोगिताओं में भाग लेने से पहले यात्रा खर्चों के बारे में सोचने को मजबूर हैं।
कई स्थानीय खेल संघों और संगठनों ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है। भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की अध्यक्ष और महान धाविका पी.टी. उषा ने भी हाल ही में इंदौर हॉकी एसोसिएशन के साथ बातचीत में इस विषय पर चिंता व्यक्त की। उनका कहना है कि अगर हम खेलों को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना चाहते हैं, तो खिलाड़ियों के लिए आधारभूत सुविधाओं को पुनः स्थापित करना होगा — जिसमें यात्रा रियायत एक महत्वपूर्ण कदम है।
संसद और सोशल मीडिया में उठती आवाज़
यह मुद्दा अब संसद से लेकर सोशल मीडिया तक पहुंच चुका है। संसद में कई सांसदों ने खिलाड़ियों के लिए रेलवे छूट बहाल करने की मांग की है। वहीं खेल मंत्रालय ने भी रेल मंत्रालय को इस दिशा में पुनर्विचार करने के लिए कई बार पत्र लिखा है।
अब यह आंदोलन जन-आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है। खेल प्रेमी, खिलाड़ी और पत्रकार मिलकर #Concession4Athletes नाम से सोशल मीडिया अभियान चला रहे हैं। इस अभियान का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्रालय तक यह संदेश पहुंचाना है कि देश के युवा खिलाड़ियों को आर्थिक सहूलियत देकर ही "विश्व खेल महाशक्ति" बनने का सपना साकार किया जा सकता है।
खिलाड़ियों के लिए यह क्यों जरूरी है
यात्रा रियायत केवल एक आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि एक प्रेरणा भी है। यह संदेश देती है कि सरकार अपने खिलाड़ियों के साथ खड़ी है। ग्रामीण भारत के कई युवा खिलाड़ी आज भी अपने सपनों को Sports news पंख देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जब उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए ट्रेन का टिकट सस्ते में मिलेगा, तो वे न केवल प्रतियोगिताओं तक पहुंच पाएंगे बल्कि अपने हुनर को दिखाने का मौका भी पा सकेंगे।
निष्कर्ष
भारत अगर सच में खेलों को राष्ट्रीय गौरव का विषय बनाना चाहता है, तो उसे खिलाड़ियों की हर बुनियादी जरूरत पर ध्यान देना होगा। रेलवे छूट का पुनः आरंभ एक छोटा कदम जरूर होगा, लेकिन इसका प्रभाव दूरगामी होगा। यह कदम देश के हजारों युवाओं को खेलों में आगे बढ़ने का अवसर देगा और प्रधानमंत्री के “भारत को विश्व खेल महाशक्ति” बनाने के लक्ष्य को मजबूत करेगा।
अब यह समय है कि सरकार और रेल मंत्रालय इस मांग को गंभीरता से लेते हुए खिलाड़ियों के लिए रेलवे छूट को फिर से लागू करें। आखिर, जो खिलाड़ी देश का नाम रोशन करते हैं, उनके लिए यह एक छोटी लेकिन सम्मानजनक सहायता होगी।
